भागलपुर,फतेहजंग का मकबरा : इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज है जिसकी दास्तान

“इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज है जिसकी दास्तान, ढूंढ रहा आज अपनी पहचान”
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं मध्यकालीन फतेहजंग के उस नायाब मकबरे की जो नगर के एस एम कालेज के करीब स्थित है। बादशाह जहांगीर के समय में बंगाल के गवर्नर रहे फतेहजंग का पूरा नाम सैय्यद इब्राहिम हुसैन खां था। जांबाज सिपहसालार व मलिका-ए-बेगम नूरजहाँ के भाई होने के कारण शाही गलियारों में उसकी खासी अहमियत थी। दिल्ली के तख्त के उत्तराधिकार की लड़ाई में जब शहजादा खुर्रम (शाहजहाँ) पिता बादशाह जहांगीर के खिलाफ बगावत का परचम लहराते हुए बुरहानपुर, सिऊड़ी होते हुए बंगाल की राजधानी राजमहल आ धमका, तो शहजादे के साथ हुई लड़ाई में फतेहजंग को जान गंवानी पड़ी और उसका सर कलम कर दिया गया। उसके सर को राजमहल में व धड़ को भागलपुर मेंझ लाकर दफनाया गया तथा मकबरे की तामीर कराई गई। क्षेत्रीय इतिहास विशेषज्ञ शाह मंजर हुसैन अपनी पुस्तक ‘एमिनेंट मुस्लिम आफ भागलपुर’ में बताते हैं कि शहर के मोगलपुरा मुहल्ले में फतेहजंग का महल था और आज भी उसके खानदान से जुड़े लोग यहां रहते हैं।
स्मार्ट होने जा रहे शहर भागलपुर को पहली किश्त के तौर पर 65 करोड़ की राशि मिल चुकी है जिससे प्रथम चरण में नगर विकास व सौन्दर्यीकरण की योजनाओं के साथ स्मार्ट सिटी के हेरिटेज के रूप में इटालियन, रोमन व यूरोपियन शैली में निर्मित चुनिंदा भवनों को शामिल किया गया है। यदि इनके साथ नगर के कुछेक मुस्लिम स्थापत्य, जिनमें फतेहजंग का मकबरा उल्लेखनीय है, को शामिल कर लिया जाय तो पर्यटन की दृष्टि से काफी उपयोगी होंगे।
सादगी में सौन्दर्य का अनूठा नमूना:-
20 फीट ऊंचे चबूतरे पर बने इस 80 फीट चौड़े व 70 फीट लम्बे मकबरे के उपर बड़े-छोटे आकार के कुल पांच गुम्बद हैं और इसके चरों तरफ से अंदर जाने का रास्ता है। इतिहासकार डा. डीआर पाटिल ने जहां इसे एक मनोहारी स्मारक की संज्ञा दी है वहीं बुकानन कहते हैं कि उत्तर बंगाल के तीन जिलों में उनके द्वारा देखे गये किसी भी मुस्लिम संरचना के बनिस्पत यह अत्यंत उम्दा शैली में निर्मित है जो बारीक अलंकरणों की सज्जा से बोझिल होने की बजाय प्लास्टर से आवेष्ठित साफ-सुथरे ढंग से सुनिर्मित है। ‘इस्टर्न इंडिया’ (1838) के लेखक मार्टिन ने भी कुछ इसी तरह के विचार व्यक्त किये हैं।
आज लड़ रहा वजूद की लड़ाई:-
जिस मकबरे पर कभी शाही सवारियों से जाकर अमीर-उमराव सजदे करते होंगे, आज वह भीषण अतिक्रमण से इस ग्रसित है कि सिर्फ पैदल अथवा दुपहिये वाहन से ही वहां तक पहुंचा जा सकता है। वर्ष 2014-15 मे बिहार के पर्यटन विभाग द्वारा करीब 90 लाख की लागत पर कार्यकारी एजेंसी बिहार राज्य भवन निगम के माध्यम से इसका जीर्णोंद्धार व सुंदरीकरण कराया गया था जिसका मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विडियो कांफ्रेंसिंग द्वारा उद्घाटन किया गया था। 2016 के अपने कैलेंडर में भवन निगम ने इसकी तस्वीर भी प्रकाशित की थी। पर रख-रखाव तथा अतिक्रमण के कारण यह फिर से खास्ताहाल होता जा रहा है व पर्यटक तो दूर आम लोग भी वहां तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। स्मार्ट सिटी के तहत गंगा-तट को मैरिन ड्राईव की तरह डेवलप करने व इको टूरिज्म के बावत मोटर वोट चलाने की योजना बनाई गयी है। यदि इसके साथ गंगा के किनारे स्थित फतेहजंग के मकबरे को भी सम्यक रुप से टूरिस्ट प्वाइंट की तरह डेवलप किया जाय तो हमारे स्मार्टनेस में चार चाँद लग जाये।
बुलंद दरवाजे दे रहे अतीत की गवाही | भागलपुर के गंगा तट पर एसएम कॉलेज के निकट खंजरपुर में स्थित फतेहजंग का मकबरा: शानदार धरोहर
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लेखक : शिव शंकर सिंह पारिजात (इतिहासकार),
अव. उप जनसम्पर्क निदेशक, भागलपुर