फैटी लिवर के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी डाइटिशियन सुषमा सुमन द्वारा

फैटी लिवर क्या है ? इसमें किस तरह के खाद्य पदार्थ को शामिल करना चाहिए ?
फैटी लीवर वह स्थिति होती है, जब लीवर की कोशिकाओं में गैर जरूरी फैट की मात्रा बढ़ जाती है और इससे लीवर को स्थाई नुकसान का खतरा रहता है | इन्फ्लेमेटरी एक्शन से लीवर के टिशू सख्त हो जाते है |
फैटी लिवर डिजीज
फैटी लिवर रोग तीन रूपों में हो सकता है | पहला स्टीटोसिस, जिस में सूजन के बिना फैटी लिवर होता है | दूसरा स्टीटोहेपिटाइटिस, इसमें जख्म और सूजन वाला लीवर जोकि शराब के सेवन से होता है | तथा तीसरा डिजीज नॉन-अल्कोहलिक स्टीटोहेपिटाइटिस, जोकि बेहद आम है और उपचार ना किए जाने की स्थिति में यह गंभीर रूप ले लेता है | नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज में शुरू में लक्षण दिखाई नहीं देते हैं | लेकिन वसा और कोलेस्ट्रॉल के लिवर में जमा होने के साथ दिखाई दे सकते हैं | अधिक वजन या मोटापा शराब और मधुमेह आदि फैटी लीवर के विकास में योगदान कर सकते हैं | इसका उपचार इसके कारणों पर निर्भर करता है | लेकिन आमतौर पर लिवर में बढ़ रही अतिरिक्त वसा की मात्रा को सीमित करने के लिए आहार में परिवर्तन वजन प्रबंधन और स्वास्थ्य की स्थिति के प्रबंधन को शामिल करना चाहिए |
वसा और कोलेस्ट्रॉल को सीमित करें
संतृप्त वसा और कोलेस्ट्रॉल में खाद्य पदार्थों की अधिक सेवन से फैटी लिवर जटिल हो सकता है | रेड मीट और डेयरी खाद्य पदार्थों की जगह प्रति सप्ताह मछली के दो सर्विंग, बेक किया हुआ चिकन और कम वसा वाले डेयरी उत्पाद लेना चाहिए | तले हुए खाद्य पदार्थ से बचें | अगर रेड मीट खाते हैं तो सप्ताह की जगह महीने में एक बार इसका सेवन कर सकते हैं |
फल सब्जियों और अनाज
कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ थर्मल ऊर्जा का मुख्य स्रोत है, तथा विटामिन खनिज और फाइबर भी अच्छा स्रोत है | जोकि लीवर की क्षति को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक होते हैं | क्षतिग्रस्त लीवर को संग्रहित ऊर्जा को कार्बोहाइड्रेट से ग्लाइकोजन में परिवर्तित करने में कठिनाई होती है| खूबानी और नींबू जैसे ताजे फल, साग, ब्रोकली, पपीता जैसे, उबली हुई सब्जियां तथा साबुत अनाज को अपने आहार में शामिल करें |
लेखिका : डायटीशियन ‘सुषमा सुमन’
आहार विशेषज्ञ सलाहकार – फ़्रेसेनियस काबी एवं लाइफ केयर फिजिओथेरपी एन्ड रिहैबिलिटेशन सेंटर, एवं चांद मेमोरियल हॉस्पिटल, पटना