“मोटापा और डाइटिंग डिप्रेशन” पर डायटीशियन अन्नू झा की ज्ञानवर्धक लेख

मुजफ्फरपुर की युवा एवं प्रसिद्द डायटीशियन अन्नू झा आज के दौर में मोटापा के शिकार और प्रोटीन मेडिसिन डाइट के द्वारा शरीर को आकर्षक बनाए रखने वाले महिला और पुरुषों को अपने लेख “मोटापा और डाइटिंग डिप्रेशन” के द्वारा बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी बिहार डायरी के पाठकों के लिए साझा कर रही है |
डायटीशियन अन्नू के अनुसार आज की युवा पीढ़ी (यंग जेनरेशन्स) जब डाइटिंग का मूड बनाती है तो जोश देखने लायक होता है। इस जोश में वह यह सोच बैठती है कि उसने कई किलोग्राम वजन कम कर लिया । सोच को फास्ट फोरवर्ड करने पर खाने का नया डाइट चार्ट बनता है और खाने के सामान की नयी लिस्ट बनती है ।लेकिन अपनी भूख पर काबू ना रहे और इच्छा शक्ति कमजोर पड़ जाए तो वजन बढ़ने के साथ-साथ डिप्रेशन भी आ घेरता है। यह डाइटिंग डिप्रेशन है।
आगे डायटीशियन अन्नू बताती है की देश में तेजी से मोटे युवक युवतियों की संख्या बढ़ रही है । इसका सबसे बड़ा कारण आरामपरस्त जीवनशैली होना है | मोटापा एक राष्ट्रीय बिमारी बन चूका है, और इसका इलाज पोषक तत्वों से भरपूर डाइट लेने के साथ-साथ शारीरिक रूप से एक्टिव होने में छिपा है । लेकिन हर महिला या पुरुष मोटापा कम करने के लिये कोई ऐसी गोली या नुस्खा चाहते है, जिससे मोटापा काबू में किया जा सके | जबकि सच्चाई यह है कि मोटापे को कंट्रोल करने के लिए इसका इलाज ना तो किसी गोली में छिपा है और ना ही डायटिंग में । मोटापा कई बिमारियो को अपने साथ भी लाती है | जैसे – हाइपरटेंशन, डाइबिटीज, आर्थराइटिस तथा ब्रेस्ट व सरवाइकल कैंसर आदि । मोटापे में तब डिप्रेशन जोर मारता है जब आपको खाने पीने की आजादी खत्म होती लगती है |
डाइट का ध्यान ना करना भी मोटापे की वजह हो सकता है
डायटीशियन अन्नू के अनुसार मोटापा दूर करने के लिए जब बातों-बातों में डायटिंग का वायदा अपने आपसे किया जाता है तो डाइटीशियन की राय के बैगेर खुद-ब-खुद एक समय का खाना छोड़ देते है या फिर चपाती 2 से 1 कर देते है । इस तरह की डायटिंग गलत है | इससे मोटापा ही आता है । डाइटीशियन की सलाह से डाइट चार्ट बना कर डायटिंग की जाए तो सही रहता है ।
डायटिंग और मूड का सम्बन्ध
डायटीशियन अन्नू बताती है की मोटापे से छुटकारा पाने के लिए बार-बार डायटिंग का सहारा लेना स्वभाव व मूड को नुकसान पहुंचाता है । हमारे दिमाग के काम करने के लिये जरूरी सेरोटोनिन हमें कार्बोहाइड्रेट से प्राप्त होता है । कैलरी को बिना किसी बैलेंस डाइट के कम कर देने से खून मे शर्करा की कमी हो जाती है, जिससे कमजोरी और चक्कर आने की शिकायत हो सकती है । मन भी बार-बार कुछ खाने के लिए करता है । यह स्थिति भी डायटिंग डिप्रेशन का कारण बनती है । डायटिंग डिप्रेशन से बचने के लिए जरूरी है कि डायटिंग को ले कर थोड़ा-थोड़ा समय के बाद अपनाए जाने वाले कामचलाऊ नुस्खे से बचें।
डाइट पिल्स का दुष्प्रभाव
डायटीशियन अन्नू के अनुसार देश में बढ रहे मोटे लोगों की संख्या की वजह से फैट को खत्म करने वाली गोलियां और प्रोटीन शेक की बाजार में भरमार है । लेकिन महिलाएं या पुरुष डाइट पिल्स से जुड़े खतरो को नहीं समझते । इन गोलियों का दिल और शरीर के दूसरे सिस्टम पे बुरा असर पड़ता है |
फूड लेबेल्स
डायटीशियन अन्नू बताती है की हर टेस्टी चीज हेल्दी हो जरुरी नहीं । फूड लेबल्स के धोखे में भी आने की जरूरत नहीं । जिन लेबल्स पर शुगर हाइड्रोजेनेटेड फैट लिखा हो उन चीजों पर हाथ ना रखें। कोलेस्ट्रॉल फ्री, शुगर फ्री, फैट फ्री जैसे शब्द कभी-कभी उतने सच्चे नहीं होते जितने पढ़ने में लगते हैं । बेहतर है ऐसे प्रोडक्ट्स से दूरी बनाये रखें । जैसे – नूडल्स, मोमोज, जो की मैदे का भंडार है और स्वाद मे दिल जीत लेते है।
डायटीशियन अन्नू की सलाह है की डाइट कंट्रोल को बंदिश ना समझे और यह सोचकर डिप्रेशन से बाहर आए कि आप खाना बंद नहीं कर रहे आप सिर्फ सेहतमंद लाइफस्टाइल की तरफ चल रहे हैं । अपने शरीर को सुधारने के लिए मेहनत कर रहे हैं । किसी डायटीशियन या डॉक्टर की सलाह के बिना डाइट पिल्स आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है | इसलिए कोई भी डाइट पिल्स या प्रोटीन शेक लेने से पहले डायटीशियन या डॉक्टर की सलाह जरूर ले |
लेखिका : डायटीशियन अन्नू झा
आहार विशेषज्ञ सलाहकार – वी. एल. सी. सी., मुजफ्फरपुर