नेहा झा : उभरती हुई मिथिला पेंटिंग कलाकार

मधुबनी (बिस्टोल गाँव) में जन्मी और दरभंगा (बघाट) में ब्याही और अभी नोयडा (उत्तर प्रदेश ) में रहने वाली नेहा का ज़िन्दगी में हमेशा ये उद्देश्य लेकर चली की किसी भी व्यवसाय को पेशेवर और संगठित रूप के साथ अपनी कौशल और प्रतिभा का उच्चत्तम प्रयोग करना चाहिए | कहते है शादी एक लड़की की ज़िंदगी बदल देती है इसलिये शायद नेहा झा के साथ भी ऐसा ही कुछ लिखा हुआ था | दिल्ली मे पलि-बढी और पढ़ाई की नेहा को हमेशा से हर चीज़ कुछ हटकर और अलग अंदाज़ मे करने की आदत थी, दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढी और डबल डिप्लोमा होल्डर नेहा झा अभी एक आईटी कंपनी मे बतौर मैनेजर पद पर कार्यरत है और अपने पति के साथ नोएडा मे रहती है | उनके पति नोएडा मे ही एच.सी.एल मे वरिष्ठ विशेषज्ञ अभियंता है | नेहा के पति ने उन्हे हमेशा से ही बिहार की संस्कृति की तरफ उन्हे आकर्षित किया और अपने पति का मिथिला- मैथली संस्कृति से लगाव को देखकर ही नेहा भी प्रभावित होकर मिथिला चित्रकारी बनाना और सीखना शुरु कर दिया | कुछ दिनो के अनुभव के बाद ही उन्होने कई मिथिला चित्र बनाये और जब इन चित्रो को फ्रेमिंग कराके अपने पटना निवास स्थान पे सांस और ससुर जी (बिहार सरकार के संस्कृत-शिक्षा बोर्ड मे कार्यरत है), को दिखाया तो वो अत्यधिक प्रसन्न हुए और वही से नेहा की मिथिला-मधुबनी चित्रकारी बनाने की ललक ने तीव्रता पकड़ ली |
बताते चले की आधुनिक मिथिला-मधुबनी कला शैली का विकास 17 वीं शताब्दी के आसपास माना जाता है। यह शैली मुख्य रूप से जितवारपुर और रतन गांव में विकसित हुई। सदियों से मिथिला की औरतें अपने घरों, दरवाजों पर चित्र उकेरती रही हैं जिनमें एक पूरा संसार रचा जाता रहा है। कोहबर, दशावतार, अरिपन, बांसपर्री और अष्टदल कमल शादी के अवसर पर घरों में बनाए जाते रहे हैं।
नेहा अपने चित्रो को आनलाइन संजाल (पोर्टल) के माध्यम से सांझा कर प्रतिक्रिया (फीडबैक) लेते रहती है ताकि अपने चित्र-शैली पर और दक्षता हासिल कर सकें | कई बड़े-बड़े आनलाइन सांस्कृतिक / सामाजिक पोर्टल ने उनकी पेंटिंग्स को साझा कर बढ़ावा दिया और कई लोगो ने उनकी चित्रो को खरीदने भी चाहा , यही सब देखते हुए नेहा चाहती है की वो अपना मिथिला पैंटिंग का आनलाइन संजाल के माध्यम से एक छोटा सा स्टार्ट अप शुरु करना चाहती है, जिससे मिथिला चित्रकला को बढ़ावा के साथ-साथ इससे जो भी आर्थिक मदद मिले उससे मिथिला चित्रकारी के प्रचार-प्रसार मे लगा सके | नेहा का सपना है की वो एक ऐसा प्लॅटफॉर्म बनाये जिससे सभी मिथिला चित्रकार जुड़े और मिथिला पेंटिंग जो बिहार की विशेष चित्रकला है, इसको देश-विदेश तक पहुंचाने का प्रयास करे |
नेहा जॉब भी करती है इस वजह से इनके पास सिर्फ शनिवार और रविवार को अवकाश रहता है, और इसलिए नेहा अपना सप्ताहांत मिथिला पेंटिंग के साथ-साथ घरेलु और निजी कामो में में समर्पित रहती है , इनके जूनून का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की नेहा अपनी पेंटिंग खत्म करने के लिए देर रात तक काम करती रहती है | नेहा अपने पति से प्रेरित होकर पूरी तरह से मिथिला पेंटिंग के माध्यम से बिहार और मिथिला की संस्कृति के प्रति समर्पित हो चुकी है | नेहा अपनी वेबसाइट बनाने की योजना पर कार्य कर रही है जो मिथिला के सभी कलाकारों को एक मंच पर जोड़ सके, ताकि राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर लोगों को इस खूबसूरत प्राचीन कला के बारे में जागरूक किया जा सके | नेहा अपने अनुभव के बारे में बताती है की बिहार से बाहर बिहार के बारे में लोगों को लगता है कि बिहार एक खराब स्थिति में है, अशिष्ट भोजपुरी गीतों और लिट्टी चोखा के अलावा कुछ नहीं है | इसलिए भी नेहा बिहार की संस्कृति और कला के प्रति जागरूकता पैदा करना चाहती है | नेहा आगे बताती है की वास्तव में उन्होंने देखा है कि मिथिला पेंटिंग के कई कलाकार बिहार में खासकर मधुबनी और दरभंगा में मौजूद हैं, लेकिन उनकी पेंटिंग को बेचने या अपनी वेबसाइट पर काम पाने के लिए उनके पास बहुत कम विकल्प हैं, इसलिए मैं विक्रेता और खरीदार के लिए एक ही मंच बनाना चाहती हूं | नेहा के अनुसार अभी उनका बच्चा नहीं है लेकिन बच्चा होने के बाद भी उनका मिथिला पेंटिंग और बिहार की कला एवं संस्कृति के प्रति लगाव और समर्पण कम नहीं होगा | नेहा का मानना है की एक माँ होने के नाते इसका मतलब यह नहीं है कि आपका सपना खत्म हो गया है | मैं एक कामकाजी महिला हूँ और अब तो कई महिलाएँ भी अपने कार्यालय और घर के साथ-साथ बच्चे का भी अच्छे से ख्याल रख रही हैं । मिथिला पेंटिंग की बाजार में प्रतिस्पर्धा के बारे में नेहा बताती है की मैं प्रतियोगियों के बारे में सोचने के लिए यहां नहीं हूं, मैं केवल इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रही हूं कि अभी खरीदार की क्या जरूरत है और मै उनको सर्वश्रेष्ठ मिथिला पेंटिंग कैसे उपलब्ध करा सकती हूँ | नेहा सभी मिथिला पेंटिंग के नए और पुराने कलाकारों को सन्देश देना चाहती है की “अपने कौशल को विस्तृत करने से डरें नहीं बस आगे बढ़ें और किसी भी उम्र में खुद को खुश और प्रतिभाशाली बनाएं” |
मिथिला पेंटिंग नेहा झा द्वारा
बधाई संग शुभकामना नेहा।
आहाँ केर चित्रकारी दिन बs दिन सुन्नर आर व्यवस्थित भs रहल अछि।
आगु लेल अग्रिम शुभकामना
हमे गर्व है ऐसे मिथिलानी पर जो अपने जन्म स्थान से दूर रहने पर भी अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति को अपने जीवन के डेग सँ धीरे धीरे बढ़ा रही है। मैं उनके भविष्य के लिए मंगल कामना करता हूँ वह इसी प्रगति सँग बढ़ते रहे और कुशल रहे।